( बहुत बोर हो सकते हो ! इसलिए गंभीर मूड में नहीं हो तो आगे चल दो दोस्त ! तुम्हारा समय कीमती है और आज की मेरी बातें बहुत फालतू सी हैं.
तबीयत भी नरम सी है, बदन टूट रहा है, गला बंद सा है और आँखों में लाली छाई हुई है. ऐसे में मेरे शरीर की तरह बीमार सिस्टम के बारे में पांच बातें कहनी हैं. आप पढ़ें या न पढ़ें पर मेरे हिस्से का काम करना है.)
अडाणी, बजट, फसलों को नुकसान की चिंता, हमारी पार्टी का आज स्थापना दिवस और पठान फिल्म पर
- अडाणी को लेकर इतना भावुक होने का नहीं. इस देश को आजादी के पहले भी ईस्ट इंडिया कम्पनी और देशी विदेशी पूंजीपति चलाते थे और तथाकथित आजादी के बाद भी वही चलाते आये हैं. बेचारे संविधान लिखने वालों ने जरूर लिखा था कि पूँजी कुछ हाथों में मत जाने देना पर तुम्हारे ये कठपुतली राजनेता, संविधान की धज्जियाँ उड़ाते रहे और आज एक प्रतिशत भारतीयों के पास देश का आधा धन है….बाकी के पास, कम आमदनी, रोना धोना, आत्महत्याएँ, कुपोषण, बेरोजगारी और गरीबी है.
अडाणी से पहले सरकारों पर बिड़ला, बजाज, अंबानी, जैसे लोग हावी थे. बस, वे इतने नंगे होकर नहीं नाचे थे और न उनकी कठपुतलियाँ इतनी बेशर्म थीं. तो तुम अगर ये सोचो कि अडाणी और भाजपा से नाराज होकर कांग्रेस की तरफ चले जाओगे तो समस्या हल हो जायेगी…तो यह तुम्हारी मूर्खता है. निरी मूर्खता, नासमझी. इस हमाम में सब नंगे हैं. अडाणी के इस खेल को अमेरिका के दस छोरों ने दुनिया के सामने रखा है, तुम्हारे विपक्ष ने इसमें कुछ नहीं किया है….वह तो लूट में अपने हिस्से को लेकर तड़प रहा है. जैसे कांग्रेस के समय कोयला, टू जी जैसी बातें भाजपा ने थोड़े ही खोजी थीं…कोई और थे वे. बस, तुम्हें लगा कि कांग्रेस चोरी कर रही है और तुम अब किसी चौकीदार को खजाना संभला रहे हो ! अपनी समझ पर हंस तो लो.
अडाणी नाम का यह तमाशा कुछ दिन चलेगा…नोटबंदी, जी एस टी और तालाबंदी की तरह देश कुछ और बर्बाद होगा…..फिर तुम्हारे मुंह और दिमाग में कुछ और भूसा भर दिया जायेगा, उसकी जुगाली करते रहना.
तुम तो बस मेरी एक बात समझ लो…गूगल करो….भारत में सबसे अधिक प्रत्यश विदेशी निवेश (FDI) कहाँ से आता है….आप पाओगे …मॉरिशस ! कमाल है न ? क्या उस टापू के पास इत्ते रूपये हैं कि वह भारत में निवेश कर रहा है ? यह आज से नहीं है, कांग्रेस के समय से है.
दोस्त, कई बार लगता है….अज्ञानता वरदान है….तुम सच में मस्त रहो और रील देखो ..किसी ढोंगी या किसी तमाशबीन राजनेता की.
तो उपाय क्या है ? एक ही- जागरूक और जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण ….और वह भारत की अधिकतर जनता होना नहीं चाहती….इसलिए शोषण और लूट की यह यात्रा जारी है…चलते रहो…दम टूटने तक. - आज के बजट में कुछ नया था ? कुछ भी नहीं. मैंने इस बजट व्यवस्था को खूब पढ़ा है और पढ़ाया है. यह आज भी अंग्रेजी बजट है. इसका भारत के असली विकास से कोई लेना देना नहीं है. यह कभी नहीं बताएगा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मामले में कैसी प्रोग्रेस रही, मिट्टी की जांच ठीक से होती या नहीं, किसानों को दाम बराबर मिलता या नहीं, बेसहारा भटकते बछड़ों का क्या करना है, समग्र शिक्षा अभियान से भारत की कितनी स्कूलें बेहतर बनीं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान ने क्या तीर मारे….इसमें केवल फर्जी ऊंची ऊंची बातें, जिनका आम आदमी से कोई लेना देना…भ्रमित भाषा….जो भारत के अधिकतर पढ़े लिखों की समझ में नहीं आती हैं. पिछले बजट में क्या कहा गया और क्या हुआ…यह साफ़ नहीं होता…आप तो आगे की बातें झेलो ! इस बजट के लिफ़ाफ़े पर भारत की जनता लिखा होता है और अन्दर के कागज़ पूंजीवादी व्यवस्था के काम के होते हैं. अगर ये बजट ईमानदारी से जनहित में बनते और इन पर सही अमल होता तो आज हम अमेरिका और चीन से आगे चले गए होते….जबकि हम सौ करोड़ दुखी लोगों के देश के रूप में इस धरती पर विद्यमान हैं…तीस करोड़ लोग आइसक्रीम और पिज्जा खा लेते हैं !
- मौसम की मार से फसलों को नुकसान हुआ है तो किसान रोता क्यों है ? फसल का बीमा करवाया हुआ है तो चिंता क्यों ? क्यों नहीं किसानों के पढ़े लिखे छोरे छोरियां मेरी बातों पर अपने गाँव में अमल करवाते ? क्या रीलों में खोये हुए हैं. फसल बीमा के सरल नियमों को गाँव में लागू करवाओ. अपने आप वाजिब मुआवजा मिलेगा. कैसी विशेष गिरदावरी ? उससे क्या होना है ? उसका बीमा से क्या लेना देना….क्यों ज्ञापन लिए फिर रहे हो बेकार में ? तुम और तुम्हारे राजनेता गलत नम्बर डायल कर रहे हो.
किसान दोस्त ! फसल कटाई प्रयोग सही होगा तो सही मुआवजा मिलेगा. बीमा पॉलिसी, क्लेम सूची और फसल कटाई प्रयोग के बारे में एक दो लाइन पढ़ ले. क्यों फालतू की चीजों में अपने परिवार से दुश्मनी कर रहा है. कम्पनी ने ठेका लिया है, तुम्हारे परिवार के खाते में रूपये डालने का, जब तुम खुद सो रहे हो ? - आज आपकी अपनी पार्टी, अभिनव राजस्थान पार्टी का स्थापना दिवस है. एक फरवरी 2018 को जयपुर के बिड़ला सभागार में डेढ़ हजार साथियों ने यह पार्टी बनाई थी. उद्देश्य था…छद्म अवतारवाद से जनजागरण की ओर, स्वशासन की ओर, असली विकास की ओर. आज भी उसी लोकनीति के रास्ते हम चल रहे हैं छोटी पार्टी है, साधन कम है, गुलामी की मानसिकता से लोगों को बाहर लाना मुश्किल है….पर जैसे भी हैं, हाजिर हैं. मेहनत में कोई कमी नहीं है. आगे आप लोगों के हाथ में है…डुबो देना या पार कर देना !
- पठान फिल्म में कुछ नहीं है, आइसक्रीम की तरह हवा है…कोई कहानी नहीं है….बस एक्शन है …पब्लिसिटी है….और भाई लोग के विरोध का फायदा है….किसी भी बेसिरपैर की फिल्म को हिट करना तो भाई लोग के लिए कुछ बजट रखो….हाय हाय मुर्दाबाद करवा लो अपना खुद का….जिज्ञासु लोग देख लेंगे इसे. जैसे BBC वाली डाक्यूमेंट्री पर बैन लगाकर उसमें पूरी दुनिया की रुचि जगा दी है भारत सरकार ने. बैन नहीं लगता तो शायद कम लोग देखते इसे. मैंने तो दोनों को ही नहीं देखा है और न देखने का मूड है. गुजरात दंगों के समय तो मैं अहमदाबाद में बीच मैदान में था …सब अपनी आँखों से देखा था. तो …..साथियों ! आज से नए रंग में, ढंग में आगे बढ़ते हैं….फिर से फ़ौज का पुनर्गठन करते हैं. लड़ाई जीतनी तो है. वर्ना जनता मारी जाएगी. उस मासूम को सच में नहीं पता है कि उसको बर्बाद करने का कितना बड़ा प्लान तैयार हो रहा है. जीते जी यह देखा नहीं जा रहा है. जिन्दा हो तो साथ आ जाना…मैं तो चलता रहूँगा, तुम्हारे इन्तजार में रुकने वाला नहीं हूँ.
अभिनव अशोक