(आज रिजल्ट आया तो एक बार फिर दोहरा दूँ…अभिनव राजस्थान में क्या होने वाला है.)
- उसे अंग्रेजी और हिंदी में बात करना आना चाहिए. भाषा का अर्थ केवल लिखना नहीं है….इतनी grammer और व्याकरण जानने के बाद भी बोलना ना आए तो इसके क्या मायने ?….राजस्थान के बच्चे इस कारण बहुत पिछड़ते हैं जीवन में.
- उसे मानव, जानवर और पौधों की दस खास बीमारियों के बारे में व्यवहारिक रूप से पता होना चाहिए…..विज्ञान की किताब में लिखा होने के बाद भी वे इनको समझते नहीं हैं, रटते हैं……इनका कारण और समाधान जान लेने से वे अपने परिवार, पालतू जानवरों और खेतों का बेहतर ख्याल रख सकेंगे…..पढ़ना सार्थक होगा. हालांकि वे डॉक्टर न बने इतने से ज्ञान से कि मनमर्जी से दवा दे दें ! पर दादी और मां को आश्वस्त कर सकते हैं, डॉक्टर के पास ले जा सकते हैं.
- उन्हें स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक संतुलित भोजन का पता होना चाहिए. क्या चीजें शरीर को नुकसान करती हैं…ठीक से पता होना चाहिए. समझने के बाद वे गलत चीजों का सेवन या कहिये भोजन करने से पहले हिचकेगा.
- शरीर की तरह उन्हें यह भी पता हो कि पालतू जानवरों की खुराक कितनी और कैसी हो, खेत की मिटटी की जांच कैसे हो और उसमें क्या मिलाकर बेहतर फसल ली जाए. यह ज्ञान उसके घर को हजारों रूपये का फायदा पहुंचा देगा.
- उसे पता हो कि इस धरती पर एक ही बार चांस मिलता है और इस जीवन को आनंद से जीना लक्ष्य होना चाहिए. काम करें खूब, पढ़ें खूब, कमाए खूब पर…आनंद जारी रहे. सत्तर अस्सी साल में कथा सुनने का क्या फायदा ? आध्यात्म यही है और बचपन में इसमें उतरने का कोई मतलब है.
- उन्हें किसी एक खेल या कला में पारंगत होना चाहिए. क्लासिकल डांस, सोंग , इंस्ट्रूमेंट सीखें….DJ के शोर शराबे से दूर…..चित्रकारी करें, मूर्ति बनायें…लम्बी कूद, ऊंची कूद, दौड़ आदि के साथ वॉलीबॉल, फुटबॉल, कबड्डी, आदि में मास्टरी करें…किसी एक में कम से कम. क्रिकेट से दूर रहे ! ओलम्पिक में क्रिकेट नहीं है.
- वे सवाल करना सीखें. नम्बर ज्यादा कम आना महत्वपूर्ण नहीं है….असल बात समझ में नहीं आने तक सवाल पूछना है…..ज्ञान तो तभी सृजित होगा….रट्टू तोतों ने देश का और समाज का बहुत नुकसान किया है.
- वे ढोंगियों के आगे झुकना बंद करें….आँख मींचकर बात न मानें….अंधविश्वास से बचें….संविधान में लिखा है…वैज्ञानिक चेतना….वह उनमें हो. कबीर भी कह गए….जात न पूछो साधु की, पूछ लीजे ज्ञान…..सवाल पूछने पर ज्ञानी की पहचान हो जाएगी….ज्ञानी शिक्षकों और संतों की इज्जत करें.
- समाज को बांटने वाले घृणा के पुतलों से दूर रहें, जात और पंथ के नाम पर जहर से बचें….कोई जात बुरी नहीं, कोई पंथ बुरा नहीं….सब संस्कृति के वाहक हैं. सबका सम्मान हो. साथ ही गरीब, असहाय, बीमार के लिए उनमें संवेदना हो.
मास्टर जी, ये दस बातें सीखा दीजिये बच्चों को….हिंदुस्तान और राजस्थान गुलजार हो जाएगा…..और दसवीं वह परीक्षा है जो आगे के लिए निर्णायक है….बौद्धिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से. बाकी नब्बे या सौ प्रतिशत हों या चालीस…..मायने नहीं रखते.
(मेरे तो मुश्किल से 54% आये थे दसवीं में !….समझने की जिद में….और पहली बार मेरी पिटाई एक सफाई कर्मी को छू लेने और उसे सम्मान से पानी पिलाने के कारण इसी समय हुई थी…पर अपुन गलती मानने को तैयार नहीं हुए ! दयानंद समझ आ गए थे तब तक और ओशो को भी पढ़ने लगा था.)
बात ठीक लगी हो बोलना कि ठीक लगी है…..चुप मत रहना …गलत तो कह नहीं पाओगे !…..और अगले विधानसभा चुनाव में अभिनव राजस्थान पार्टी को वोट देकर सफल बनाना. वोट काम आ जाएगा….काहे को राजनीति के नाम पर इसे बार बार खराब करते हो……हम अभिनव शिक्षा से राजस्थान को दुनिया की बेहतरीन जगह बना देंगे. पूरा प्लान है हमारे पास.