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Saturday, June 14, 2025

ब्रह्मधाम राजपुरोहित समाज की #राजधानी है।

जय_श्री रघुनाथ जी री सा।

ब्रह्मधाम राजपुरोहित समाज की #राजधानी है।
सदगुरु श्री तुलसारामजी महाराज समाज के सर्वेसर्वा है। वर्तमान गादीपति और समाज के ह्रदय में केंद्रबिंदु है।
दाता खेतेश्वर भगवान ने पूरी समाज को एक #जाजम दी एक स्थान जगह दी जहा गर्व से राजपुरोहित समाज का छोटा बच्चा भी कह सकता हे यह मेरा मंदिर घर गढ़ दरबार हे।
जिस तरह
हिंदुओ के लिए #केदारनाथ

मुस्लिमो के लिए मक्का मदीना।

सिखों के लिए #स्वर्ण_मंदिर।

ईसाईयों के लिए यरुशलम

👆
वैसे ही राजपुरोहित के घर जन्म लेने वाले जीवमात्र प्रत्येक व्यक्ति के लिए #ब्रह्मधाम पवित्र स्थान है। और गुरु खेतारामजी भगवान और उनकी परंपरा को आगे बढ़ाने वाले समाज के धर्मगुरु जिनका आदेश पत्थर की लकीर और ब्रह्मधाम का पैगाम आंख बंद करके स्वीकार्य।

उपरोक्त बातों से 80% समाजबंधु #सहमत होंगे। जिनकी आस्था इस पवित्र धाम में गुरुगादी के प्रति हे जो शिव धुणे को कैलाश और गुरु महाराज तुलसारामजी को कृष्ण मानते हे उनके अलावा उनको जग में कही शांति प्राप्त नहीं होती।

पर

पर इस महान में समाज में भी कुछ विकृत मानसिकता के लोग हे जैसे हर समुदाय धर्म में होते है। देसी भाषा में कहे तो जहा #गांव होता है वहा #उखेड़ा होता है

👹ऐसे लोग आज नए प्रकट नही हुए है सिर्फ इनके चेहरो से नकाब हटा है। इनकी घटिया सोच गंदी भावना बुरी नियत और गलत इरादे आज समाजजाहिर हुए हे। जो एक तथाकथित संत के पीछे छुपकर उसको ढाल बनाकर ऐतिहासिक ब्रह्मधाम के नियम संविधान प्रणाली को मनचाहा रूप देना चाहते है। इन लोगो का #मंसूबा दाता खेतारामजी के हाथ से लिखे संविधान को खारिज करके मंदिर के #सिस्टम को अपने हिसाब से चलाना है। ब्रह्मधाम रूपी मंदिर के नीव के पत्थर रूपी भक्तो को मंदिर से दूर करना। जिन लोगो ने इस राजधानी के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया उन लोगो के परिवार का हस्तक्षेप नेस्तोनाबूद करके उन लोगो के हाथ में बागडोर देने की मंशा हे जो लोग शुरू से गुरु गादी दाता खेतारामजी के विचारो के खिलाफ चले।

(1)यह सभी वही व्यक्ति हे जो आज से 40 साल पहले जब दाता ने मंदिर की नीव रखी थी तब इस क्षेत्र से बिल्कुल अपरिचित थे #भूल से भी जिनका आगमन नही हुआ था वो आज मंदिर के बारे में लंबे लेख भाषण ज्ञान दे रहे हे।।
(2)यह वही लोग हे जिन्होंने गुरु महाराज खेतारामजी की #कुटुंब_यात्रा ब्रह्मधाम प्रतिष्ठा से पहले नही होने दी थी। दाता ने प्रतिष्ठा के एक दिन पूर्व यात्रा संपन्न की थी।
(3) यह वही लोग हे जिन्होंने उसी समयकाल में घोड़े की सेवा करने वाले व्यक्ति को आज की ही भांति संत बनाकर क्षेत्र विशेष में ले जाकर #धनबल के जोर से साक्षात ब्रह्मावतार के खिलाफ मोर्चा मोर्चा खोल दिया था।
(4) यह वही लोग हे जिन्होंने आज से 40 साल पहले भी थूक कर चाटा था ब्रह्मधाम और गुरु महाराज के #बहिष्कार की डींगे हाकी थी।
(5) यह वही लोग हे जिन्हे निर्मल दयालु कोमल हृदय बालब्रह्मचारी संत तुलसारामजी सन्यासी #स्वीकार्य नहीं थे
(6) यही वो लोग हे जो महान तपस्वी संत तुलसारामजी की जगह #दूसरे संत को उतराधिकारी बनाना चाहते थे।
(7) वही लोग हे यह जिन्होंने ब्रह्मधाम की प्रतिष्ठा के समय ही लक्ष्मीनारायण मंदिर की #प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकाल कर ब्रह्मधाम और सदगुरु की महिमा को कम करना चाहते थे।
(8) वही हे यह जो गुरु महाराज देशावर में मंदिर ओली चंदा लिखवाने जाते तब या तो पीछे के दरवाजे से भाग जाते या बावसी के आने का #समाचार सुनकर गायब हो जाते थे।
इनके कारनामों की पूरी कुंडली पड़ी है समाज के बड़े बुजुर्ग अभी मौजदु है गवाह है।

अब आप लोग स्वय विचार कीजिए यह #बीमारी आज की अभी की नही है न इसका किसी तथाकथित संत से लेना देना हे। इनको तकलीफ दूसरी है इन लोगो की बीमारी लाईलाज है तभी तो यह कभी माथा दुखने का ( ट्रस्ट पर आरोप ) कभी पेटदर्द( टिफिन में रुपए) कभी कमरदर्द ( नजदीक गांव के लोग) कभी घुटने दर्द( बावसी पर आरोप) कभी हाजमा गड़बड़( निर्मलदासजी को दोष) कभी कब्ज(बाड़मेर के सदस्य ज्यादा) कभी मतिभ्रम( गुरु महाराज पर टिक्का टिप्पणी) समस्या बीमारी बताते हे परंतु इनको वास्तव में #वहम की बीमारी है जिसकी दवा यह वृद्ध बा भोमाराम नाम के डाक्टर से ढूंढ रहे है। तथाकथित बा भी इनको दवाई देने की #लालच में जड़ीबूटियों की खोज में लगा रहा है। बा के लिए पहले जमीन लेनी पड़ेगी फिर उसपर आश्रम भवन मंदिर निर्माण करवाना पड़ेगा तब जाकर बा बाकी बची हुई जमीन पर रहस्यमय खेती करके इनकी लाईलाज बीमारी के लिए दवाई की खोज करेंगे।
फिल्हाल दवाई की लालच में यह सभी लोग जो बहुत पहले से बीमार है या जो 40 सालो में कुछ नही कर सके वे लोग भोमाराम को अवतार समझकर उसको तन मन धन से समर्थन देकर मजबूत कर रहे हे। उन लोगो को भोमाराम में आशा में किरण नजर आ रही है अपने जैसे इरादे रखने वाले भोमाराम से उनकी #उम्मीदे फिर जाग गई है वो लोग अपने बच्चो को बोल रहे है भोमाराम ही तुम्हे गुलामी से आजाद करवाएगा इसलिए एक पूरा क्षेत्र जय जय कार करने के लिए मजबूर हो गया है। उनके कबीले में जो व्यक्ति गुरु महाराज तुलसारामजी की या ट्रस्ट की बुराई करता है उसे #मंत्रिमंडल ने शामिल कर लिया जाता है। गाली ग्लोच से दिन की शुरुआत करने वाले भोमाराम के कबीले के युवा भोमाराम की जय बोलकर जेहादीयो की तरह आत्मघाती फिदाइन बनकर बा के हुकम का इंतजार कर रहे है।

📿तथाकथित बा भी दिल्ली के 💂मुख्यमंत्री का फेन हे क्षेत्र विशेष के लोगो से जूठे वादे करके उनको बरगला कर उनका सरदार तो बन गया पर #व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर जिस चीजों उसूलों प्रध्वति के खिलाफ थे वही के वही काम आज खुद कर रहा है।
👉जैसे पैसे के हाथ नही लगाऊंगा।
👉 साधुओं की महंगी गाड़ियों का क्या काम
👉 क्षेत्रवाद और भेदभाव
👉साधु संतो के पास रोज घूमने वाले लोग चमसे
👉 प्रदेश में अलग अलग भवन का विरोध खुद अलग कार्यक्रम

महाज्ञानी अवतारी बा #अंधभक्तों के लिए त्रिलोक त्रिकाल दर्शनी है पर उसे सांसारिक ज्ञान तक नहीं है गुरु महाराज की तरह स्वेत वस्त्र धारण कर लिए गले में माला लटका दी। बाल दाढ़ी बढ़ा दी।
🤔पर उस अंतर्यामी से कौन पूछे की नकल में भी अकल लगानी चाहिए गुरु महाराज की नकल करके गले में गुलाबी फूल धारण करने से ब्रह्मऋषि नही बनते।
,👥 स्वय आड़ी ( लंगोट और कमर के नीचे पहननें वाला वस्त्र) धारण नही की जाती है उसके लिए गुरु से दीक्षा लेकर गुरु आदेश से धारण करते है।
🙈 महाज्ञानी अंधभक्तों के परब्रह्म कुर्ते के ऊपर सफेद वस्त्र पर गुरु महाराज की #नकल करके जो गांठे लगाते हो उसका मर्म भेद इतिहास उद्देश्य भी जानते हो या बेहरूपिए की तरह वेश बनाने का ही पता है।

अब बात करते हे इनके उद्देश्य की तो अंधभक्तों को छोड़ किसी भी पढ़े लिखे जागरूक युवा को इनका कोई लक्ष्य नजर नही आएगा।
इनके बा और बा के बच्चो के पास समाज को लेकर कोई दूरदर्शिता नही है न इनके पास कोई योजना हे न कोई मंजिल है रास्ते से भटके लोगो के पास कोई ठिकाना नहीं होता। दिशाहीन भीड़ जो की भेड़ों के समूह की तरह एक ही दिशा में अग्रसर हो रही है।
अरे महाक्रोधी बा आपके पास क्या उद्देश्य है जिस व्यवस्था परिवर्तन का झंडा लेकर चले हो उसके लिए आपके पास क्या योजना हे कृपया करके कम से कम अंधभक्तों को तो जरूर बताएं। आप दूसरे साधु संतो से क्या अलग करोगे कृपया प्रकाश डालना।
हमे तो अभी तक कुछ भी नया देखने को नही मिला जय हो जय हो के सिवा आपके पास कुछ।एक कार्यक्रम के बीस हजार देकर केमेरा मेन को साथ में रखकर आप भी कुशालगिरी की तरह बॉस बनने का सपना देख रहे हो इससे विशेष फिल्हाल आपके प्रवचन भीड़ कार्यक्रमों में कुछ नजर नही आ रहा।

अंत में समाज के जागरूक युवाओ से एक ही अपील करना चाहूंगा।
मानवीय समझ उम्र व अनुभव के अनुसार विकसित होती है।इनकी बुद्धि पर अंधविश्वास का ताला लगा रखा है और चाबी वैंकुठधाम के सील बंद कमरो पर भूल आए हे।
प्रचंड आस्तिकों व अंधभक्तों से उलझकर अपना समय जाया न करें!
इनकी बुद्धि पर तथाकथित बा ने ताला लगा दिया है।
कोई गाली दे या आपको अपशब्द बोले तो गुस्सा कतई नहीं करें!ये दया के पात्र है।
इन्हीं की गपोड़ कथाओं और चमत्कारों में कई बार अनायास ही बोल दिया जाता है कि बा तो खेतारामजी के अवतार हे व बा 180 किमी की स्पीड से घोड़ा दौड़ाते है और बा ने हर स्टेशन पर रेलवे को 15 मिनट रुकवा दी।

हालांकि इनके कबीले में रजिस्ट्रेशन करवाने और इनकी जमात में शामिल होने का एक ही नियम हे अंधभक्त बनकर अपने मुंह पर ताला लगाकर रखना।
सवाल करने का हक नही है।
क्योंकि जवाब इनके पास नही है।
अगर इनके एक भी अंधभक्त के पास सवाल पूछने की क्षमंता होती तो सरेआम आम सभाओं में सदगुरु महाराज पर कटाक्ष करने की हिम्मत कभी नही होती

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