देश की उन्नति आर्य समाज में – विचारों का आदान-प्रदान
छोटी सादड़ी:
यहां स्थित हरीश आंजना स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आर्य समाज द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. दीपक मंडेला ने जानकारी देते हुए बताया कि आर्य समाज द्वारा आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि आर्य समाज राष्ट्रीय प्रचारक विनोद आर्य (गाजियाबाद), विशिष्ट अतिथि आर्य समाज के प्रधान लक्ष्मीनारायण तेली, कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. जगन्नाथ सोलंकी द्वारा मां सरस्वती की तस्वीर पर माला, दीप प्रज्वलन एवं पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।
मंचासीन अतिथियों का हुआ आत्मीय स्वागत
कार्यक्रम में पधारे अतिथियों का स्वागत उपरना एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर आत्मीय अभिनंदन के साथ किया गया।
आर्य समाज का उद्देश्य और योगदान – विनोद आर्य
मुख्य अतिथि विनोद आर्य ने कहा कि आर्य समाज एक धार्मिक और सामाजिक आंदोलन है, जिसकी स्थापना 1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी। यह आंदोलन वेदों की शिक्षाओं पर आधारित है, और इसका उद्देश्य हिंदू समाज में सुधार करना तथा वैदिक धर्म को पुनर्स्थापित करना है।
शिक्षा और सुधार में आर्य समाज की भूमिका – डॉ. सोलंकी
कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. सोलंकी ने कहा कि आर्य समाज ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और कई स्कूल तथा कॉलेज स्थापित किए। उन्होंने बताया कि आर्य समाज ने बाल विवाह के विरोध, महिला शिक्षा के समर्थन और अस्पृश्यता के उन्मूलन जैसे सुधारकारी कदम उठाए हैं।
वैदिक मूल्यों को आत्मसात करने की प्रेरणा – लक्ष्मीनारायण तेली
विशिष्ट अतिथि लक्ष्मीनारायण तेली ने कहा कि आर्य समाज वेदों को सर्वोच्च प्रामाणिक ग्रंथ मानता है और उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारने का प्रयास करता है।
एकेश्वरवाद और वैदिक विचारधारा – डॉ. दीपक मंडेला
प्राचार्य डॉ. दीपक मंडेला ने कहा कि आर्य समाज एकेश्वरवाद में विश्वास करता है और ईश्वर को एक और अद्वितीय मानता है। उन्होंने सभी का आभार भी व्यक्त किया।
कार्यशाला में सहभागिता
इस अवसर पर संकाय सदस्य राहुल जोशी, अजय कुमार यादव, भगवान लाल कामड, गोविंद रजक, मनीष बैरागी, नसरीन आरा, सपना बेस, काजल पंवार, चौथमल, नितेश, महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित रहे। मंच संचालन संगीता अग्रवाल ने किया।